रिमझिम-रिमझिम बरिसे बदरिया
रिमझिम-रिमझिम बरिसे बदरिया!
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रिमझिम-रिमझिम बरिसे बदरिया!
पिउ-पिउ मनवा बोले भीतरिया।
बादर गरजे,चमके बिजुरिया
नेह से सगरो भींजे सरीरिया।
रिमझिम-रिमझिम बरिसे बदरिया!
कबो कारी कबो भुवरी बदरिया
जल बरिसावे गंवुआ नगरिया।
ताल-तलैया में उठेला लहरिया
छप-छप करेले छिछिली नहरिया।
रिमझिम-रिमझिम बरिसे बदरिया!
पाकल आमवा चाहेला ढ़रकल
झमड़ल जमुनिया आवे लरकल।
जहां लागे लेव उहां हेंगा दियाता
रोटी हथरोटिया घरवा सेंकाता।
बरधा,मरदा करेला मनमानी
सोकना काटेला मेंहिंये में चानी।
खेतवा में लबालब भरल पानी
धान के बेहनिया करेले फुटानी।
रिमझिम-रिमझिम बरिसे बदरिया!
डांड़ मेढ़ के सइहारे किसानवा
कबो हंसे कबो गावेला गानवा।
पानी बिना छछनत रहल परानवा
पनिया परत भइल मनगर मनवा।
रिमझिम-रिमझिम बरिसे बदरिया!
कजरी गाई के छंवुकत गोरिया
करे रोपनी खोटि लुग्गा कमरिया।
उमड़ि-घुमड़ि के बरिसे बदरिया
झपसल बरखा लहरे कियरिया।
रिमझिम-रिमझिम बरिसे बदरिया!
खुस भइल मनवा देखत किसनिया
बड़ा नीक लागेला बरखा के पनिया।
कबो झांके कबो बिहंसेली धनिया
भीतरा घुंघुटा में फुटली किरिनिया।
हरियर धान अस चहके दुल्हनिया।
रिमझिम-रिमझिम बरिसे बदरिया!
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राम बहादुर राय
भरौली,बलिया,उत्तर प्रदेश
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