युग जमाना कहां गइल,नइखे अब उ बात!
युग जमाना कहां गइल,नइखे अब उ बात! ---------------------------------------------------- कुकुर चलेला कार में,सवख भइल बरियार बइठि मेम के गोद में, भइल इहे बा यार। कुकुर नहाय साबुन से,उड़त हवा में बाल आदमी नियन नाम बा,आदमी नियन चाल। खेत-घर सब बंटि गइल,बंटल नेह सनेह सब लोग अफनाइल बा,लेके आपन देह। जांत,ओखर,मूसर सब,हो गइल बा उदास गाय बछिया दूर भइल,नदवो सुते उपास। मोट अनाज छोट भइल,डंकल भइल अनाज देंहि में जोर कहां बा,करावे सब मसाज। हर-हरिस लउके नाहीं,लउके कहां जुआठ घर में मोबाइल देखि, करे खूब रवुराठ। कहां होखत समहुत बा,कहां होत खरिहान जहां अइसन कुछ होखे ,होई बहुत महान। युग जमाना कहां गइल,नइखे अब उ बात खत्म हो गइल नीक चीजु,रोगे बा सब खात। आम महुआ बूढ़ भइल,टूटत नइखे सान धरन बड़ेंर उजहि गइल,गुम भइल नेवान। पड़त अइसन गरमी बा,हाल भइल बदहाल फेल पंखा कूलर बा,तंग टोला महाल। पेड़ खूब सब काटता,लिखता धरती ग्रीन काम चलता नारा से,घरे में कृत्रिम सीन। दुख देखत दूसरा के,मन में खूब मुस्काय अब कहां केहू मिलता,नइखे मिलत धधाय। सुख चैन खूख भइल बा,जूझत बाटे लोग सुखी उहे कहल जाई,होखे देंहि निरोग। ...