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Showing posts from May, 2025

युग जमाना कहां गइल,नइखे अब उ बात!

युग जमाना कहां गइल,नइखे अब उ बात! ---------------------------------------------------- कुकुर चलेला कार में,सवख भइल बरियार बइठि मेम के गोद में, भइल इहे बा यार।  कुकुर नहाय साबुन से,उड़त हवा में बाल आदमी नियन नाम बा,आदमी नियन चाल। खेत-घर सब बंटि गइल,बंटल नेह सनेह  सब लोग अफनाइल बा,लेके आपन देह। जांत,ओखर,मूसर सब,हो गइल बा उदास  गाय बछिया दूर भइल,नदवो सुते उपास। मोट अनाज छोट भइल,डंकल भइल अनाज  देंहि में जोर कहां बा,करावे सब मसाज।  हर-हरिस लउके नाहीं,लउके कहां जुआठ  घर में मोबाइल देखि, करे खूब रवुराठ। कहां होखत समहुत बा,कहां होत खरिहान  जहां अइसन कुछ होखे ,होई बहुत महान।  युग जमाना कहां गइल,नइखे अब उ बात खत्म हो गइल नीक चीजु,रोगे बा सब खात। आम महुआ बूढ़ भइल,टूटत नइखे सान  धरन बड़ेंर उजहि गइल,गुम भइल नेवान।  पड़त अइसन गरमी बा,हाल भइल बदहाल फेल पंखा कूलर बा,तंग टोला महाल। पेड़ खूब सब काटता,लिखता धरती ग्रीन  काम चलता नारा से,घरे में कृत्रिम सीन। दुख देखत दूसरा के,मन में खूब मुस्काय अब कहां केहू मिलता,नइखे मिलत धधाय। सुख चैन खूख भइल बा,जूझत बाटे लोग  सुखी उहे कहल जाई,होखे देंहि निरोग।          ...

माई भोजपुरी तोहके कतना बताईं

माई भोजपुरी तोहके कतना बताईं!! ------------------------------------------- माई भोजपुरी तोहके कतना बताईं सब लोगे गइल बाटे अपने में बंटाई भाषा भोजपुरी के करेले बस बड़ाई जाति-धर्म में बंटि के करे खूबे लड़ाई। माई भोजपुरी तोहके कतना बताईं जहां देखऽ उहां एगो संघे बनल बा पद पावे के फेरा में अपनहीं परल बा एगो दूसरा खातिर हलाहले भरल बा। माई भोजपुरी तोहके कतना बताईं!! भाषा भोजपुरी के खूबे बात करेलन बड़े-बड़े बैनर लेइके दिल्ली पहुंचेलन पद-पुरस्कार के हरदम फेर में रहेलन सबसे बड़का तगमा ई लेइके घुमेलन। माई भोजपुरी तोहके कतना बताईं!! जहां जाले जातिये के करेलन हिनाई अपने अकेले जाति के बातो बतियाई दूसर जाति देखते लेसे इनका बाई बुझाले कि हवुए इहे भोजपुरिया माई। जहां जाले मंच पर ई पहिलहीं सुनावे दूसरा के सबसे नीचे नांव लिखवावे सुने नाहीं अनकर अपने बात ई गावे मंचो पर बइठे तब भेदभावे गिनावे। माई भोजपुरी तोहके कतना बताईं!! बढ़ता आगे केहू जदि ई जानि जाई छोड़ि के काम अपन ओके रोकवाई मिलला पर सोझा खूब हंसेला ठठाई बात भोजपुरी के हिन्दिये में बतियाई। माई भोजपुरी ...

बेचि नथिया चुका दीं उधार सैंया जी

बेचि नथिया चुका दीं उधार सैंया जी ----------------------------------------------- करत नइखीं काहें कुछ काम सैंया जी चलल कइले बा जुलुम हमार सैंया जी। रहिया चलत हमके टोकेला बजजवा  देखिले तऽ धक-धक करेला करेजवा।   करत नइखीं काहें कुछ काम सैंया जी  चलल कइले बा जुलुम हमार सैंया जी। हमरे खातिर कढ़ले बाड़ऽ करजवा  सोचिले त बुझाला गिर जाई बरजवा। कुछू कमइत होई हलुक भार सैंया जी चुकाई देतऽ लिहल उधार सैंया जी। रहिया चलत हमके रहि-रहि निहारेला नजरी से हमके ताना बहुत मारेला। बेचि नथिया चुका दीं उधार सैंया जी रवुंए बानीं गहना हमार सैंया जी। जहां-जहां जाईं पिछे हमरा आवेला तनिको डेराव ना आंखि देखावेला। जियल कइले बाटे मोहाल सैंया जी करीं मुवना के कुछू उपाय सैंया जी। ना चाहीं गहना नाहीं चाहीं लहंगा दुनिया में सबसे बलम हमार महंगा।  पहिर लेइब मटिया मरकीन सैंया जी  चुका दिहीं मुवना के उधार सैया जी। करत नइखीं काहें कुछ काम सैंया जी  चलल कइले बा जुलुम हमार सैंया जी।                 -------------------- राम बहादुर राय  भरौली,बलिय...

साथ था मेरे, हमसफ़र था ही नहीं

साथ था मेरे, हमसफ़र था ही नहीं! ---------------------------------------------- रहगुज़र बनकर कोई यहां आता नहीं जो होता रहगुज़र कभी बताता नहीं।  चलते - चलते मेरे पांव रुकने लगे  हमको ऐसे लगा ,कि हम झुकने लगे।  बात थकने की होती तो रुकता नहीं चुभते कांटे भी तो कुछ कहता नहीं। कांटें पांव के हम निकालने जब लगे  दोस्तों के निशां , हूबहू मिलने लगे। होती दुश्मनी तो फंसते ही नहीं फंस गये अपनों से, शक करते नहीं।  मेरे नंबर सम से विषम होने लगे  कटते स्वयं से , हम भी कटने लगे। साथ था मेरे, हमसफ़र था ही नहीं साथ होकर भी साथ,वह था ही नहीं। न जाने पांव क्यों मेरे चुभने लगे  रोने मैं लगा तब मित्र हंसने लगे। बातें बनाने मुझे कुछ आता नहीं  अपने, गैरों को पहचान पाता नहीं। हम ही नादान है ,जो कि फंसने लगे चुभोया कांटा , उसी पर मरने लगे।  मैं पथिक हूं, कोई बड़ा आदमी नहीं  मैं जनसामान्य हूं, सहन होता नहीं। सहते-सहते हम चुप ,अब रहने लगे  बात कहनी थी जो,मन में रखने लगे। शज़र अमीरी का मेरे साथ ही नहीं  कांट चुभने से दर्द मुझे होता नहीं।...

तूं रहिहऽ सावधान , बाड़ऽ नखलिस्तान

तूं रहिहऽ सावधान , बाड़ऽ नखलिस्तान ----------------------------------------------------- समय-समय के बात बा ,होला समय महान अर्स मिले चाहे फर्स , होला एकसमान  काम नीमन कइके तूं,बनि जा अब सिरमौर लेकिन कुछ ना करबऽ ,कहाई बुरा दौर। ई कइसन समय बाटे , लागे सब बीमार लोग घरां में बइठि के ,बनत बा चिड़ीमार। दंभ में जे जियत रही, हाल रही बेहाल सांच बहुत कठोर हऽ , तबो रही खुशहाल। कटि रहल पेंड़ देखऽ , देखि लऽ अब हाल गरमी से सब तंग बा ,जीवन बा बदहाल।   सब अपने में रहत बा ,सहत सहत आघात  घुटन के जिनगी जियता,तबो नइखे बुझात।  ई माया बाज़ार में , झूठन के दूकान  झूठे फलत फूलत बा , झूठ के बड़ मकान  दर-दयाद से तंग बा , तबो उ चले वितान  अपने से सब रंज बा,घर में गिरल चितान। राम बहादुर समझऽ , इहंवो पाकिस्तान  तूं रहिहऽ सावधान , बाड़ऽ नखलिस्तान। जाल-ताल लगवले बा, बइठल बा चुपचाप  नेह-छोह देखावता , जोहे आपन खाप।                 ----------- राम बहादुर राय भरौली,बलिया,उत्तरप्रदेश #highlight #जयभोजपुरी

तुम तृप्त संतृप्त नहीं हो,मैं खुद ही निस्पृह हूं!

तुम तृप्त ,संतृप्त नहीं हो ,मैं खुद ही निस्पृह हूं! -------------------------------------------------------- लोग देखते सुनते हैं, कि दरिया भी होता है हम क्या बतायें तुम्हें , मैं खुद एक दरिया हूं। मुझे किरदार न समझो ,मुझमें किरदार होता है मुझे क्या समझते हो ,मैं तो खुद एक समझ हूं। नदियों का कलरव नहीं, समन्दर सा गहरा हूं मझधार में क्या छोड़ोगे ,मैं खुद मझधार हूं। हकीकत मुझे न बताओ,मैं खुद ही हकीकत हूं आशा,तृष्णा न बताओ ,मैं तो खुद में आशा हूं। मुझे न डराओ,मैं हवा के विरुद्ध ही चलता हूं रास्ते कंटीले न दिखाओ ,मैं खुद कंटकित हूं। तुम तृप्त, संतृप्त ही नहीं , मैं खुद ही निस्पृह हूं दर्द क्या दोगे मुझे ,मैं दर्द का एक परिंदा हूं। ---------- राम बहादुर राय भरौली बलिया उत्तरप्रदेश #highlight

उहे होई गांव भोजपुरिया

उहे होई गांव भोजपुरिया! ---------------------------------- जहंवा करे कल-कल नदिया लह-लह करे खूबे फसलिया जहंवा लोढ़े फूल मलिनिया बरिसे जहंवा नेह बदरिया उहे होई गांव भोजपुरिया! जहां कोइल गावे मधुर गान होखे प्रीत के जहां दोकान संगे बइठे हिन्दू-मुसलमान जहंवा कुकुरो चलेला उतान उहे होई गांव भोजपुरिया! पहिले होखे समहुत नेवान खेल के होखे लमहर मैदान धरम के मंदिर होखे पहचान कहीं बाजे घंटा, कहीं अजान उहे होई गांव भोजपुरिया! घरे के होखे सतुआ पिसान लिपाला गोबर से खरिहान पिपर पतई में बसे भगवान रखे पशु-पक्षी के सब धियान उहे होई गांव भोजपुरिया! जहां गांव में बसे हिन्दुस्तान माई-बाप में लउके भगवान उचरे कवुआ ओरी-दालान केहू से केहू नइखे अनजान उहे होई गांव भोजपुरिया! दोस्त-दुसुमन के बा पहचान केहू ना लागेला अनजान ना होखे वृद्धाश्रम के निशान जहंवा दिल के सब धनवान उहे होई भोजपुरिया गांव! जेकर नइखे कवनो पहचान ओकर भी होखे मान-सम्मान राम बहादुर के गांव बा जान गांव के बचावऽ ए भगवान तबे बांची भोजपुरिया गांव!    ---------...