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Showing posts from October, 2024

कतनी नीमन गांव रहल रहल,नेह छोह के भाव रहल

कतना नीमन गांव रहल, नेह-छोह के भाव रहल --------------------------------------------------------------- पहिले कच्चा मकान रहल,आदमी मगर सांच रहल। सभ त संगहीं रहत रहल ,सभ सभके मानत रहल। जेकरा जवन जुरे आंटे , मिलजुल आपुस में बांटे। अंगना चहल-पहल रहल,सभे रीजल-पीजल रहल। धर्मशाला , इनार होखे ,सुखो-दुख के बात होखे। चाय ना चाह रहत रहल ,दूसरा के परवाह रहल। बड़का घर-दुवार होखे,दिल सबकर उदार होखे। आदमी त आदमी रहल ,जवन लउके उ उहे रहल। मोट पहिरे मोटे खाव, लेकिन नीक रहे सुभाव। दुवारे पर त हांच रहल ,दूध-दही के पांक रहल। आदमी त आदमी रहल ,नेह भरल बरसात रहल। चाहे कच्चा मकान रहल ,सब नेह के जमात रहल। कतनो उछाह होखे या ,कि कतनो उजास होखे जबान के कीमत रहे , जबान के निठाह होखे। कतना नीमन गांव रहल, नेह-छोह के भाव रहल मारो-झगड़ा होत रहल ,लेकिन संगहीं खात रहल। देंहि ,पइसा ,धन-दवुलत , केहू देखवत ना रहल केहू गोड़ ना खिंचत रहल,गिरल के उठावत रहल। मकान भले कच्चा रहल ,मगर आदमी सच्चा रहल लोगन क प्रेम सांच रहल ,चोरिका ना डिठार रहल। हीत-मीत,दुश्मन जव...

अबो ले सुनि लऽ ए माई,हमरी अरजिया हो

अबो ले सुनि लऽ ए माई,हमरी अरजिया हो ---------------------------------------------------- अबो ले सुनि लऽ ए माई ,हमरी अरजिया हो केनियो अंजोर नइखे, देहियों में जोर नइखे केहू पूछत नइखे, लउकता सगरे अन्हार हो! दर-दर भटकीं ए माई ,रहिया में अटकीं हो कुछवू बुझाते नइखे, दुखवा ओराते नइखे एके भरोसा, लागल बा आसरा तोहार हो! तोहके गोहराईं ए माई , सुनीं अरजिया हो गंगाजी नहइले बानी, कुछू ना खइले बानी अबो से आवऽ ए माई, कई दऽ उद्धार हो! बहुते बुझाला हमके, कइल नजरंदाज हो मनवो त टूटी गइल ,आसा भी छूटी गइल निपट गंवारो हंई , करऽ तूंही उजियार हो! बिन आसीस तोहरे,हम रह नाहीं पाइब हो अब केकर भरोसा करीं तोहरे सरन में रहीं अबो बचावऽ ए माई ,हंई भक्त बरियार हो! ----------------------- राम बहादुर राय भरौली,बलिया,उत्तर प्रदेश @highlight

आइके तूं करिहऽ,गांवही कमइया

आइके तूं करिहऽ , गांवही कमइया -------------------------------------------- बाबा के अंगनवा में मड़हल मड़इया ओहि रे मड़इया उचरेले काग भइया। चलते अंगनवा, हम ताकिला दुवरिया अचके में परे याद ,नइखन सांवरिया। अपने तऽ चलि गइलऽ , करे कमइया हमरा के पठवलऽ ,नइहरवे ए संइया। केकरा से कहीं, हमहूं आपन बतिया सुतत, जागत तोहके देखीं संहतिया। सखिया, सलेहर सब लागसु मुदइया कबो हंसेली ,कबो खींचसु कलइया। चीं-चीं बोलिके, हमके रिगावे चिरैया कतनो पोल्हाईं , ना माने गौरैया। काटे धवुरे हमरा के ,फुलवा पतइया नीक नाहीं लागेला ,मिसरी मलइया। नाहीं जनबऽ,कइसे जिहिले ए सइयां हमरा रोवले त टूटे ,बन के पतइया। तोहर कमाई खाई,सब घरवे के लोग तहके याद करत,हमरे धरी अब रोग। आइके तूं करिहऽ ,गांवहीं कमइया तोहरे खातिर बेचब ,गहनो ए संइया। ------------------- राम बहादुर राय भरौली, बलिया,उत्तर प्रदेश @highlight

वह बार-बार आइना देखता

वह बार-बार आइना देखता ------------------------------------ बहुत सुंदर प्यारी सी लड़की उसके तरफ देखती एकटक। वह जब सामने दिखाई देता लगता उसे ही देखती रहती। वही लड़का जब घर लौटता बार-बार आइने को देखता। कभी बालों को उपर करता कभी चेहरे पर हाथ घुमाता। वह स्वयं खूब आत्ममुग्ध होता अपनी सुंदरता पर इतराता। अच्छा-खासा पढ़ने लगा था पढ़ाई में मन लगने लगा था। उसे पढ़ने में मन नहीं लगता बार-बार लड़की को देखता। खिड़की से देखती रहती थी उसी को देखती,वह सोचता। प्रेमातुर वह विस्मृत हो गया अपने से अपने दूर हो गया। उस लड़की से मुलाकात हुई वह लड़की जा रही थी कहीं। वह सोचा कि वह बात करेगी लेकिन वह सीधे निकल गई। तो लड़का औंधे मुह गिर पड़ा वो दूर का देख ही नहीं पाती। अब बेचारा लड़का करे क्या पढ़ाई व प्रेम दोनों चला गया। अब होकर बेरोजगार लड़का दिन में तारे गिन रहा एकटक।  ------------- राम बहादुर राय  भरौली,बलिया,उत्तर प्रदेश #highlight

वे तने भी खोखले निकले

वे तने भी खोखले निकले ------------------------------- धूप की तपिश में बैठकर ऐसी सूरज को गर्मी लगी। रात की चादनी में बैठकर गर्मी को वह बुझाता रहा। परेशां भी था वह सोचकर बात उसे कुछ ऐसी लगी। वह सही था या कि गलत बार-बार सोचता वह रहा। उजाले भी उन्मुख हो गये अंधेरे की चमक देखकर। जिसे समझता बेकार था बाज सा वो सन्मुख हुआ। पुरस्कारों से नवाजा गया जिसे चाहिए देखता रहा। कोई उद्धव बनके रह गया  वो कान्हा बनके जीत गया  हाथ मलता  हाथ रह गया  बैठके वह  देखता ही रहा। जिन पेड़ों  का था आसरा  वे तने भी खोखले निकले। जिस पर फक्र था मुझको  वो मुझसे छल करता रहा।            -------------- राम बहादुर राय  भरौली,बलिया,उत्तर प्रदेश #highlight

एहू जमाना में हमके लइकी बतावल

एहू जमाना में हमके लइकी बतवलस -------------------------------------------------- छूटल हमार नइहर अइनी अपने ससुरा फेंड़ पर से गिरनी, दूसरे बिच्छी मरलस! सासु कहेली फूहर,ननद कहे अठिलोहर एगो बछिमुह लागे ,एगो लागे चकचोन्हर! जेकरा से बियाह भइल गइल उहे बहरा सूपे झटकरलस तोहार बढ़नी बहरलस! क्रीम-पाउडर पोत के लागसु खूबे सुघर पसीजेला पसेना त हो जाली भकभुवर! अपने घूमेली गली-गली मारत ठठकरा हमरा के कैदी बनाइके, जियते सरलस! का जाने कवने नक्षतर में लिहली जनम कवुवा अस बाड़ी तबो गोरे के बा भरम! बात-बात पर हमके ताना खूब मारेली अकेले त जरते रहीं,इहो हमके जरलस! काहें जल्दी रहे कि बियाहे होखत अइनीं अइनीं ससुराले त फलानवा बो कहइनी! हे भगवान जी काहें के लइकी बनवलऽ दहेज खातिर मरीं,कहीं गरभवे मरलस! जाति-धर्म के लड़ाई में कुछवू ना कइनी केहू ना भेंटाइल त हमहीं मारल गइनी! लइकी जनमते भेदभाव जमाना कइलस लइकी होके घरी-घरी जमाना मुववलस! केहू नजर चढ़ावल केहू नजरे उतरलस एहू जमाना में हमके लइकी बतवलस! ----------------- राम बहादुर राय भरौली,बलिया,उत्तर प्रदेश #followers #highl...

केहू के बढ़त देखी, रोके लागी बाट

केहू के बढ़त देखी, रोके लागी बाट ------------------------------------------- दूर से तीर चलावे,बनता सबसे नीक बाबू भैया कहावे,करता सबके दीक। धर्म मार्ग से तूं चलऽ, उहे कहाई रीत प्रीत लगाई जेतने,धोखा दिही उ मीत। लड़हीं के होखे कहीं , देखा देई पीठ बात करेला बुझाला,केतना बाटे ढ़ीठ। उहे जवन करत बाटे,ओकरे लगे ढ़ंग दूसर केतनो करी त,जरे सोरहो अंग। महंथ बनेला अपने, देखीं इनके ठाट केहू के बढ़त देखी ,रोके लागी बाट। ना खेत देखले कबो, नाहीं जाने गांव ए.सी.में रहके लिखे,रटे गांव के नांव। ओकरे लेखा नइखे, केहू इहां महान नाहीं पूछबऽ तबो, देई जबरी ज्ञान। भेंटा जइहें तोहसे, दिहें खूबहीं मान नाहीं रहबऽ चौकस,काटी लेई कान। बोली से चुवेला मधु,भरल बाटे गून केहू क नीमन देखें,सूखे इनके खून। ------------------ राम बहादुर राय भरौली,बलिया,उत्तर प्रदेश #highlight #followers