तेरे कारण ही हम बेपनाह हो गये
तेरे कारण ही हम बेपनाह हो गये ---------------------------------------- पल भर में ही इरादा बदल लेते हो तुझे अपना बनाने से क्या फायदा। जब भी मिलते,फुर्सत नहीं मिलती ऐसे मिलने का तुझसे क्या फायदा। सिर से पांव तक हम फ़ना हो गये तेरे कारण ही हम बेपनाह हो गये। गुजारिश है ख्वाहिश मेरी पूछ लो वर्ना ख्वाहिशों का है क्या फायदा। जब तुम साथ थे वक्त भी साथ था तुम बिन ये वक्त भी ठहर सा गया। दिन भर सूरज मेरा निकलता नहीं रात में तारे गिनने से क्या फायदा। तुम थे तो अंधेरों में भी थी रोशनी तूं नहीं तो दीपक भी ओझल हुए। मेरी क्या थी खता, बदल तुम गये मैं न बदला,इससे है क्या फायदा। मेरी जिंदगी है, पानी का बुलबुला कब उठी ,कब फूटी पता ही नहीं। मैं जिंदा हूं तो ,तेरी अज़मत लिए वर्ना ,ऐसे जीवन से क्या फायदा। इस तरह से मुझमें अंकशायी हुए मेरे दिल में कोई जगह ही नहीं है। तेरे इरादे बदलने से कुछ गम नहीं तेरे बिन किसी से फायदा ही नहीं। ------------------ राम बहादुर राय भरौली,बलिया,उत्तर प्रदेश @highlight